मन
सुबह उठी तो तो देखा
मुंडेर पर बैठी है चिड़िया
कहने लगी चलो अर्चना
उड़ चले गगन की और
छूले आसमान को
सुबह उठी तो फूल खिले
कहने लगे आओ अर्चना जी
महक जाओ हमारी तरह
खिल जाओ फूलों की तरह
सुबह उठी तो देवालय की
घंटियां शंखनाद सब कह
उठे मंदिर चली आओ अर्चना
करवंदन कर ले लो आशीर्वाद
सुबह उठी तो ओस फैली थी
बर्फ से नाजुक थी कह उठी
मेरी तरह नाजुक रहना अर्चना
जैसा समय आए जीवन में
बस वैसी ही बन जाना ।
अर्चना जोशी
भोपाल मध्यप्रदेश