किसान की दशा
कृषक भूमि का भगवन है सड़कपर आज बैठा है।
ख्वाब आँखों में लेकर के लगाये आस बैठा है।
आज हालात ऐसे हैं समझ में कुछ नहीं आत।
सभी घर द्वार तज करके ये दिल्ली पास बैठा है।।1
कृषक अनमोल धरती पर जमी का एक तारा है।
उदर भरता सभी जग का कृषक जिसको पुकारा है।
अन्न उत्पन्न करता है कठिन तन से लहू बहाकर।
गगन नीचे खुले बैठा राह अपनी निहारा है।।2
कभी फल तो कभी सब्जी सभी फसलें उगाता है।
हमेशा ही दूसरों का यूँ ही जीवन चलाता है।
तिमिर है स्वयं के पथपर हटाये है नहीं हटता।
मगर बदलाव की आशा लिए तनमन लगाता है।।3
बड़ी मुद्दत से गुजरा जो जमाने भर ने देखा है।
पास रखता नहीं कुछ भी सिर्फ कर्मों का लेखा है।
देखता वो रहा मंजर जमाने भर का युग युग से।
कृषक है जो कृषि हित में वही जीवन की रेखा है।।4
मान सम्मान की चिंता नहीं लेकर वो जीता है।
कृषक जीता स्वयं दुःख में हमेशा गम को पीता है।
प्रभा होती है खेतों में वही पर शाम होती है।
करे गुणगान ईश्वर का पढ़े कर्मों की गीता है।।5
दर्द कोई आज कृषकों का जरा दिलसे सुने कोई।
उजड़ जाएगी ये दुनियां अगर उसका नहीं कोई।
खेती खेत में मरती कृषक सड़कों पै मर जाये।
कृषकजीवन बचाओ रे मेरी सरकार सुने कोई।।6
दीन दयाल दीक्षित ‘दीन ‘
पाली सदर, महुअर, किरावली जिला आगरा उत्तर प्रदेश
पिन कोड़ 293122
मोबाइल 9528798782
