मेरी कागज़ की नाव
हर गली से गुजर ती शौर
मचाती गुनगुनाती चलती
मेरी कागज़ की नाव।
हस्ती गाती अपनी मस्ती
में सदायें तैरती रहती
मेरी कागज़ की नाव।
तेज़ तूफामें निडर होंकर
मुश्किलों से भी लड़ती
मेरी कागज़ की नाव।
ऊठल ठुमक ती कभी
तेज़ तूफा में सफर करती
मेरी कागज़ की नाव।
मूड कर कभी पतंग तो
कभी एरोप्लेन बन जाती
मेरी कागज़ की नाव।
हवाओ से बातें करतीं
लहरों से टकराती फिरती
मेरी कागज़ की नाव।
तो कभी सात समंदर पार
करने ख्वाहिशें भी रखती
मेरी कागज़ की नाव।
नीक राजपूत
गुजरात
9898693535
