फेसबुक ने ऑस्ट्रेलिया में न्यूज कंटेंट के साथ अपना पेज भी ब्लॉक कर डाला
फेसबुक (Facebook) ने गुरुवार को ऑस्ट्रेलिया में सभी मीडिया कंटेंट को ब्लॉक कर दिया. ऑस्ट्रेलिया के लोगों ने जब खबरें पढ़ने और अन्य जरूरी जानकरियों के लिए अपने-अपने फेसबुक अकाउंट खोले तो उन्हें कुछ नहीं मिला. गुरुवार सुबह से ही ऑस्ट्रेलिया में आम लोग इस प्लेटफॉर्म पर खबरें नहीं देख पा रहे हैं और न ही उन्हें आधिकारिक हेल्थ पेज, आपातकालीन सुरक्षा चेतावनी आदि से जुड़ी अपडेट मिल पा रही है. बताया जा रहा है कि इससे ऑस्ट्रेलिया में जरूरी व आपातकालीन सेवाएं प्रभावित हुई हैं, क्योंकि आम लोगों से लेकर बड़े संस्थान तक जानकारी के लिए काफी हद तक फेसबुक पर निर्भर हैं.
हालांकि मीडिया आउटलेट्स के पेजों को ब्लॉक करते हुए फेसबुक ने कई गैर-खबरी संस्थानों के पेजों को भी ब्लॉक कर दिया. इनमें उसका अपना पेज भी शामिल रहा. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, कंपनी के एक प्रवक्ता ने माना है कि कई पेजों को गलती से ब्लॉक कर दिया गया था, जिन्हें अब बहाल किया जा रहा है. हालांकि ये अभी स्पष्ट नहीं है कि अपने आधिकारिक पेज को फेसबुक ने किसी चूक के चलते ब्लॉक किया था या ऐसा सोच-समझकर किया गया. फिलहाल सोशल मीडिया पर लोग उसका मजाक बना रहे हैं.
बहरहाल, ऑस्ट्रेलिया में खबरों से जुड़े संस्थानों, राजनेताओं और मानवाधिकार समर्थकों ने फेसबुक के इस कदम के लिए उसकी कड़ी आलोचना की है. उसने ऐसे समय में मीडिया आउटलेट्स को ब्लॉक किया है, जब ऑस्ट्रेलिया में कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम की तैयारी जोरों पर है और इस सीजन में वहां जंगल में लगने वाली आग को लेकर आम लोग व सरकार चिंता में हैं.
फेसबुक ने ऐसा क्यों किया?
ऑस्ट्रेलिया में मीडिया बार्गेनिंग कोड (एमबीसी) नाम का एक कानून लाया गया है. इसके तहत मीडिया कंटेंट के लिए फेसबुक और अल्फाबेट (गूगल की मालिकाना कंपनी) जैसी कंपनियों को सरकार को भुगतान करने को कहा गया है. फेसबुक और गूगल न्यूज इसका विरोध कर रहे हैं. इसीलिए इस कानून को लेकर दोनों के पक्षों बीच विवाद चल रहा है. बताया जा रहा है कि इसी के चलते फेसबुक ने न्यूज कंटेंट देने वाले संस्थानों के पेजों को अपने प्लेटफॉर्म पर ब्लॉक कर दिया. हैरानी की बात ये है कि जिस कोड के विरोध में फेसबुक ने न्यूज कंटेंट को ब्लॉक किया है, उसे ऑस्ट्रेलिया की संसद ने अभी तक पारित नहीं किया है.
सोशल मीडिया कंपनी के इस रवैये पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑस्ट्रेलियाई संसद के सदस्य और एमबीसी को लेकर कंपनियों से बातचीत कर रहे सरकार के प्रतिनिधि ट्रेजर जॉश फ्रेडनबर्ग ने कहा है,
‘फेसबुक ने ये गलत किया है. उनका कदम गैरजरूरी था. उन्होंने तानाशाही दिखाई है और वे ऑस्ट्रेलिया में अपनी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुचाएंगे.’
इस बयान से पहले ट्रेजर ने उनके और फेसबुक प्रतिनिधियों के बीच हुई बातचीत को सकारात्मक बताया गया था. इस बैठक में गूगल न्यूज के प्रतिनिधि भी शामिल थे. एमबीसी के विरोध में दोनों कंपनियों ने शुरू में ऑस्ट्रेलिया में अपनी सेवाएं रद्द करने की धमकी दी थी. लेकिन गूगल ने ऐसा करने के बजाय हाल के दिनों में कई संस्थानों के साथ एहतियाती समझौते किए हैं. फेसबुक द्वारा ऑस्ट्रेलिया में न्यूज कंटेंट को ब्लॉक किए जाने पर उसने कोई टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया है. वहीं, फेसबुक ने इस बारे में बयान जारी कर सफाई दी है. उसने कहा है कि ये कानून अपने और प्रकाशक के संबंध को ‘बुनियादी तौर पर गलत समझता है’. कंपनी ने कहा है कि इस कानून के कारण उसे ये कठोर फैसला लेने के चयन का सामना करना पड़ा है कि या तो वो कोड को स्वीकार करे या न्यूज कंटेंड को बैन कर दे.
फेसबुक ने न्यूज कंटेंट देने वाले संस्थानों के पेजों को अपने प्लेटफॉर्म पर ब्लॉक कर दिया. हैरानी की बात ये है कि जिस कोड के विरोध में फेसबुक ने न्यूज कंटेंट को ब्लॉक किया है, उसे ऑस्ट्रेलिया की संसद ने अभी तक पारित नहीं किया है
किसने क्या कहा?
फेसबुक ने मीडिया आउलेट के पेजों को ब्लॉक करने के कुछ घंटों बाद कुछ की बहाली कर दी. ये उन संस्थानों के फेसबुक पेज थे, जिन्हें सरकार से समर्थन प्राप्त है. वहीं, कई परोपकारी संस्थानों से जुड़े पेजों और सभी मीडिया साइटों के पेज ब्लैंक बने रहे. इनमें न्यूयॉर्क टाइम्स, बीबीसी और वॉल स्ट्रीट जर्नल जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों के पेज शामिल हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक के इस रवैये पर ह्यूमन राइट्स वॉच ने बयान जारी कर कहा है,
“ये घटनाएं खतरनाक और सचेत करने वाली हैं. एक पूरे देश के लिए जरूरी जानकारी को इस तरह रोक देना बेहद शर्मनाक है.”
फेसबुक के इस कदम पर प्रतिक्रिया देने वालों में ऑस्ट्रेलिया के संचार मंत्री पॉल फ्लेचर भी शामिल हैं. उन्होंने कहा,
“फेसबुक ने ऑस्ट्रेलिया के लोगों को ये संदेश दिया है कि आपको हमारे प्लेटफॉर्म पर कंटेंट नहीं मिलेगा, जो ऐसे संगठनों से आता है जिनमें पेशेवर पत्रकार काम करते हैं, जिनकी संपादकीय नीतियां हैं, जो फैक्ट-चेकिंग का काम करते हैं.”
स्वास्थ्य मंत्री ग्रेग हंट ने कहा,
“कई सामुदायिक स्वास्थ्य परियोजनाओं के फेसबुक पेज बंद कर दिए गए हैं. इससे बच्चों के कैंसर से जुड़े प्रोजेक्ट प्रभावित हो सकते हैं. साफ-साफ कहूं तो ये शर्म की बात है.”
ऑस्ट्रेलियाई संसद की एक सदस्य मेडलिन किंग ने कहा,
“तो फेसबुक बुशफायर सीजन के बीच अचानक @abcperth, @6PR, @BOM_au, @BOM_WA, AND @dfes_wa (मीडिया संस्थान) को ब्लॉक कर सकता है, लेकिन उन वीडियो को नहीं हटा सकता, जिनमें बंदूक से (लोगों की) हत्या करते दिखाया जाता है? कमाल की बात है. यकीन नहीं होता. ये स्वीकार्य नहीं है. ये घमंड है.”
कथनी और करनी में फर्क
ऑस्ट्रेलिया में न्यूज कंटेंट को ब्लॉक करने के बाद फेसबुक के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जकरबर्ग एक बार फिर लोगों के निशाने पर आ सकते हैं. गुरुवार को उनकी कंपनी द्वारा उठाए गए कदम के बाद उनके एक पुराने बयान को लेकर चर्चा हो रही है. इसमें जकरबर्ग ने कहा था कि लोकतंत्र में किसी प्राइवेट कंपनी के लिए ये सही नहीं है कि वो नेताओं या न्यूज को सेंसर करे, माने उस पर रोक लगाए. भाषण में फेसबुक सीईओ ने ये भी कहा था कि उनकी कंपनी की नीतियां व्यावसायिक निर्णयों के बजाय नैतिक चयनों के परिणामों पर आधारित हैं. हालांकि गुरुवार को खबरों पर लगाई रोक, उनकी कंपनी दोहरी नीति की गवाही देती है. अब लोग उनसे पूछ सकते हैं कि एक कानून को लेकर सरकार से चल रही तनातनी की सजा वे सभी मीडिया संस्थानों और आम लोगों को क्यों दे रहे हैं.