रेपिस्ट आसाराम का बैनर लगाकर कंबल बांटे, सवाल उठे तो पुलिस हकबकाई
उत्तर प्रदेश का शाहजहांपुर. यहां ज़िला कारागार का एक भयंकर कारनामा सामने आया है, जिसके बाद से जेल प्रशासन की बड़ी किरकिरी हो रही है. दरअसल, 21 दिसंबर को जेल में रहने वाले 75 कैदियों को कंबल बांटे गए. यहां तक तो ठीक था. लेकिन दिक्कत तब खड़ी हुई, जब ये बात सामने आई कि ये कंबल बांटने का काम रेप के दोषी आसाराम के लखनऊ स्थित आश्रम ने किया है. तस्वीरें भी सामने आईं, जिसमें साफ तौर पर दिख रहा है कि जेल के अंदर आसाराम की तस्वीर वाला बैनर लगाया गया और फिर कंबल बांटे गए.
‘इंडिया टुडे’ से जुड़े विनय पांडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी खबर भी सामने आईं कि जेल के अंदर सत्संग भी किया गया था. वहीं पुलिस अधीक्षक की तरफ से इस कार्यक्रम के सिलसिले में जो प्रेस नोट जारी किया गया, उसमें भी आसाराम के नाम का ज़िक्र किया गया. नोट को देखकर तो लग रहा है कि कंबल बांटने के इस कार्यक्रम को जेल प्रशासन ने सरकारी बना दिया हो. बाकायदा लिखा गया
“संत श्री आसाराम बापू आश्रम, लखनऊ के द्वारा ज़िला कारागार शाहजहांपुर में कंबलों का वितरण किया गया.”
सोशल मीडिया पर कंबल वितरण के कार्यक्रम की तस्वीरें और पुलिस का प्रेस नोट काफी वायरल हो रहा है. तस्वीरों में पुलिस वाले भी बैठे नज़र आ रहे हैं. जेल प्रशासन की बड़ी किरकिरी हो रही है. ये जान लीजिए कि शाहजहांपुर की ही लड़की के रेप के मामले में आसाराम को दोषी करार दिया गया था. इसी सिलसिले में आसाराम को उम्रकैद की सज़ा भी सुनाई जा चुकी है. कंबल बांटने और इस दौरान हुए कार्यक्रम को लेकर पीड़ित लड़की के पिता ने आपत्ति जताई है. जांच की मांग भी की है.
ये प्रेस नोट जारी हुआ था. (फोटो विनय पांडे)
पुलिस क्या कहती है?
जेल अधीक्षक राकेश कुमार से जब सवाल किया गया, तो उन्होंने सत्संग वाली बात पर साफ इनकार कर दिया. कहा कि केवल कंबल बांटे गए. अधीक्षक ने कहा,
“कल कुछ लोग आए थे, केवल कंबल बांटे गए हैं. एक यहां बंदी बंद था नारायण पांडे. वो करीब आठ महीने पहले यहां से छूट करके गया था. तो उसने कहा था कि साहब जेल में कुछ कंबल बांटना चाहते हैं. तो उसने कंबल भिजवाए थे, वही बांटे गए. किसी प्रकार का कोई प्रवचन, कोई महिमा-मंडन, कोई पत्रिकाएं या ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं किया गया. 75 कंबल आए थे, वो सभी लोगों को बांट दिए गए.”
अधीक्षक से जब पूछा गया कि जेल के अंदर चूंकि मोबाइल ले जाने की परमिशन नहीं है, तो सोशल मीडिया में जो फोटो वायरल हो रही है, वो कैसे ली गई. इस पर अधीक्षक ने जवाब दिया,
“फोटो के लिए तो सरकार ने विभाग को डिजिटल कैमरा भी दे रखा है, तो हो सकता है कि उसी से फ़ोटो खिंचवाया हो.”
अधीक्षक जी ने जिस नारायण पांडे का ज़िक्र किया है, उसपर केस के गवाह कृपाल सिंह की हत्या करने का आरोप है. ज़मानत पर जेल से बाहर है.