आप, BJP और कांग्रेस ही नहीं, मजदूर किराएदार विकास पार्टी जैसी पार्टियां भी मैदान में थीं
दिल्ली चुनावों का फाइनल रिज़ल्ट आ गया है. ऑलमोस्ट फाइनल.
और झाड़ू ने क्लीन स्वीप कर लिया. ऑलमोस्ट क्लीन स्वीप . दोबारा.
और अब तक तो ये सारी खबरें ‘ऑरकुट’ और ‘याहू’ की तरह बासी भी हो गई हैं. इसलिए आगे इनका ज़िक्र नहीं करेंगे. आगे ज़िक्र करेंगे ‘इन्स्टाग्राम’ की तरह हैपनिंग और रोचक जानकारी की.
तो इस जानकारी की एक क्लिशे शुरुआत करते हैं. एक सवाल से-
क्या आपको पता है ‘आप’, ‘बीजेपी’ और ‘कांग्रेस’ के अलावा और कौन-कौन सी पार्टियां दिल्ली के इस चुनावी समर में थीं?
जब ‘AAP’ को ही ये बात नहीं पता है तो फिर आपको कैसे पता होगा. खैर चलिए, हम आपको कुछ ऐसी चुनिंदा पार्टियों के नाम बताते हैं, जिनको पढ़कर आप बोल उठेंगे- ‘क्रिएटिविटी माता की जय’.
# 1) टीपू सुल्तान पार्टी-
इस पार्टी का नाम सुनकर न जाने क्यूं मुझे संजय खान की याद हो आती है. वैसे अगर किसी पार्टी का नाम ‘जय हनुमान पार्टी’ होता, तो भी मुझे उनकी याद ज़रूर आती. ‘टीपू सुल्तान पार्टी’ एक से ज़्यादा जगह से चुनाव लड़ी थी. जैसे- करावल नगर, मुस्तफाबाद,आदि.
# 2) राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी-
क्यूंकि नाम में सिर्फ एक राष्ट्रीय काफी नहीं है. ये पार्टी भी कृष्णा नगर, पटपड़गंज, बदरपुर जैसी एक नहीं कई सीटों से लड़ रही थी.
# 3) मजदूर किराएदार विकास पार्टी-
ऐसा लग रहा है कि किसी बंदे या बंदी ने अपने मकान मालिक से त्रस्त होकर लेफ्ट की एक पार्टी और राईट के एक नारे को मिलाया और ये अद्भुत फ्यूज़न बना डाला. और ये पार्टी भी बड़े सीरियसली चुनाव लड़ रही थी. इसलिए ही तो करावल नगर, मुस्तफाबाद, घोंडा… मतलब एकाधिक जगहों से चुनाव लड़ रही थी.
# 4) आपकी अपनी पार्टी (पीपल्स)-
इस पार्टी का नाम वो क्यूं है, जो है? और ये ऑलमोस्ट हर दूसरे विधानसभा क्षेत्र से क्यूं खड़ी थी? भई, आप पब्लिक हैं, ब्रैकेट के अंदर वाले पीपल्स हैं. आप जानते ही होंगे.
# 5) राष्ट्रीय एकता मंच पार्टी-
मतलब स्टेज पार्टी के भाषणों के लिए होता है, लेकिन यहां तो भाषणों के स्टेज से एक पार्टी बना ली. और ये जो मंच है वो एकता का मंच है. एकता के मंच के बदले नेपथ्य के टुकड़े-टुकड़े गैंग की बात होती, तो क्या बात होती. वो दुष्यंत ने कह था न-
दोस्तों! अब मंच पर सुविधा नहीं है,
आजकल नेपथ्य में सम्भावना है.
या फिर हो सकता है ये किसी पार्टी का नाम न होकर एक विशेष नाम की चॉकलेट कंपनी का दिल्ली चुनावों में चतुराई से किया गया प्रोडक्ट प्लेसमेंट हो. बादली, बिजवासन, बुराड़ी. ये, प्रोडक्ट प्लेसमेंट या पार्टी भी किसी एक सीट तक सीमित न थी.
# 6) राईट टू रिकॉल पार्टी-
इन्हें जिस चीज़ का अधिकार चाहिए उसे वापस लेने का भी अधिकार चाहिए. लेकिन इस तरह ये एक कुचक्र बन जाता है और इसलिए इस पार्टी की रिकॉल वैल्यू नहीं बन पाती. इसलिए ही तो विश्वास नगर में इसे 78 तो पटपड़गंज में सिर्फ 60 वोट मिले.
# 7) ज़िन्दाबाद क्रांति पार्टी-
नारों के ऊपर पार्टी? इससे मिलते जुलते और नाम सजेस्ट करें- अच्छे दिन आने वाले हैं पार्टी, गरीबी हटाओ पार्टी, हमें चाहिए आज़ादी पार्टी, सर्वजन हिताय पार्टी…. एंड सो ऑन… एंड सो फोर्थ…
बल्कि, सर्वजन हिताय पार्टी भी तो दिल्ली चुनाव लड़ रही थी. लेकिन सिर्फ एक जगह, नरेला से. ज़िन्दाबाद क्रांति पार्टी का बेशक कई जगह प्रतिनिधित्व था- विश्वास नगर और घोंडा दो उदाहरण हैं.
सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय
सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय
# 8) सबसे बड़ी पार्टी-
सोचिए अगर ये पार्टी किसी चुनाव में सबसे ज़्यादा सीटें या सबसे ज़्यादा वोट ले आई तो न्यूज़ एंकर्स के लिए कितनी बड़ी दिक्कत होगी- सबसे बड़ी पार्टी रही, ‘सबसे बड़ी पार्टी.’
कोंडली, त्रिलोकपुरी, संगम विहार,शाहदरा… कई जगहों में इस ‘सबसे बड़ी पार्टी’ ने अपने कैंडिडेट खड़े किए.
# 9) परिवर्तन समाज पार्टी-
क्यूंकि ‘परिवर्तन’ ही ‘समाज’ का नियम है. और क्यूंकि हम बदलेंगे, युग बदलेगा. लेकिन अच्छा होता इस पार्टी के नाम में कुछ परिवर्तन कर दिया जाता.
# 10) अनजान आदमी पार्टी-
शॉर्ट में लिखेंगे तो AAP. इसका सिर्फ एक कैंडिडेट था. गेस कीजिए किस सीट में? नई दिल्ली. अरविंद केजरीवाल के विरुद्ध. 99 वोट मिले. यानी ये इतने भी ‘अनजान’ नहीं थे, और न ही इनका मोटिव अनजान था…. अजनबी! तुम जाने पहचाने लगते हो…
इन सभी पार्टियों के अलावा कुछ और नाम भी हैं जो स्पेशल मेंशन में आ सकते हैं- राष्ट्रीय आम जन सेवा पार्टी, भारतीय सामजिक न्याय पार्टी, लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी, हिंदुस्तान निर्माण दल, राष्ट्रीय समाज पक्ष….